वो यादों का दरिया....

वो यादों का दरिया अब सूखा समुन्दर होने लगा है,
जो कभी यादों की लहरों से घिरा रहता था।
उस दरिया को अब किसी की आस नहीं।।

यादों का वो सूनापन अब कुछ हद से गुजरने लगा है,
बंजरपन भी अब सरहदें तोड़ने लगा है।

यादें जो कभी ख़ुशनुमा थीं,
यादें जो कभी तेरे-मेरे दरमियाँ थीं,
उन्हीं यादों को संजोना अब महंगा हो चला है,

की उन यादों का दरिया अब सूखा समुन्दर होने लगा है।
जो कभी यादों की लहरों से घिरा रहता था,
उस दरिया को अब किसी की दरकार नहीं।।

सितम, ज़ुलम, ज़खम, मरहम, सब करम, हर दम,
कुछ भी बकाया नहीं उन यादों में।
जनम-जनम, न तेरे हम, न मेरे तुम,
यर मलाल भी शामिल है उन यादों में।।

यूँही कुछ खट्ठी-मीठी यादें हैं इन यादों के दरिया में।
पर अब सब बंज़र होने लगा है,

उन यादों का दरिया अब सूखा समुन्दर होने लगा है,
जो कभी यादों की लहरों से घिरा रहता था,
कि उस दरिया को अब किसी का इंतज़ार नहीं।।

वो मेरी यादों का दरिया जो अब सूखा समुन्दर होने लगा है....

       -Deepanshu 

Comments

  1. bhai awesome... mast bhai keep gng. keep writing more

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